A REVIEW OF MAIN MENU इतिहास मध्यकालीन भारत का इतिहास प्राचीन भारत का इतिहास विश्व का इतिहास जनरल नॉलेज झार?

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ब्रिटिशो ने भारतीयों पर अत्याचार करने के साथ-साथ भारतीयों के लिये कई अच्छे काम भी किये। उन्होंने रेलरोड और टेलीफोन का निर्माण किया और व्यापार, कानून और पानी की सुविधाओ को भी विकसित किया था। इनके द्वारा किये गए इन कार्यो परिणाम भारत के विकास और समृद्धि में हुआ था। उन्होंने इंडियन सिविल सर्विस का निर्माण किया और कई जरुरी नियम और कानून भी बनवाए। उन्होंने भारत में विधवा महिलाओ को जलाने की प्रथा पर भी रोक लगायी थी।

लॉर्ड एल्गिन ने वाइसराय के रूप में कार्य किया

मुहम्मद बिन तुगलक – इतिहास ने जिसे पागल घोषित कर दिया!

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अहिल्याबाई होलकर साधारण से किसान के घर पैदा हुई एक महिला थी, जिन्होंने सदैव अपने राज्य और वहां…

वारेन हेस्टिंग्स को बंगाल का राज्यपाल नियुक्त किया गया

प्राचीन भारत का इतिहास पाषाण युग से लेकर इस्लामी आक्रमणों तक है। इस्लामी आक्रमण के बाद भारत में मध्यकालीन भारत की शरुआत हो जाती है। प्राचीन भारतीय इतिहास का घटनाक्रम

लॉर्ड रिपन ने वायसराय के रूप में कार्य किया

चौथी सदी से तिसरी सदी ई॰ पू॰ की समय में भारत की अधिकतर इलाका पर मौर्य साम्राज्य क अधिकार रहल। मौर्य साम्राज्य की पतन की बाद कई गो छोट-छोट राजा अलग अलग हिस्सा पर राज्य कइलें आ फिर भारत की बड़हन हिस्सा पर गुप्त साम्राज्य अस्थापित भइला ले इहे स्थिति रहे। गुप्त काल के भारत क स्वर्ण युग भा क्लासिकल जुग कहल जाला। एही समय में इहाँ हिंदू धर्म के वर्तमान रूप के प्रतिष्ठा भइल। सातवीं से इगारहवीं सदी ईस्वी में पाल, राष्ट्रकूट आ गुर्जर प्रतिहार शासकन की बीच में शक्ति-संघर्ष भइल।

यह सामग्री क्रियेटिव कॉमन्स ऍट्रीब्यूशन/शेयर-अलाइक लाइसेंस के तहत उपलब्ध है;

गुप्तोत्तरकाल का इतिहास जानने के प्रमुख साधन राजकवियों द्वारा लिखित अपने संरक्षकों के जीवनचरित और स्थानीय इतिवृत्त हैं। जीवनचरितों में सबसे प्रसिद्ध बाणभट्टकृत ‘हर्षचरित’ में हर्ष की उपलब्धियों का वर्णन है। वाक्पतिराज के ‘गौडवहो’ में कन्नौज नरेश यशोवर्मा की, बिल्हण के ‘विक्रमांकदेवचरित’ में परवर्ती चालुक्य नरेश विक्रमादित्य की और सन्ध्याकर नंदी के ‘रामचरित’ में बंगाल शासक रामपाल की उपलब्धियों का वर्णन है। इसी प्रकार जयसिंह ने ‘कुमारपाल चरित’ में और हेमचंद्र ने ‘द्वयाश्रय काव्य’ में गुजरात के शासक कुमारपाल का, परिमल गुप्त (पद्मगुप्त) ने ‘नवसाहसांक चरित’ में परमार वंश का और जयानक ने ‘पृथ्वीराज विजय’ में पृथ्वीराज चौहान की उपलब्धियों का वर्णन किया है। चंदवरदाई के ‘पृथ्वीराज रासो’ से चहमान शासक पृथ्वीराज तृतीय के संबंध में महत्त्वपूर्ण सूचनाएँ मिलती हैं। इन जीवनचरितों में तत्कालीन राजनीतिक स्थिति का पर्याप्त ज्ञान तो होता है, किंतु इन ग्रंथों में अतिशयोक्ति के कारण इन्हें शुद्ध ऐतिहासिक ग्रंथ नहीं माना जा सकता है।

सफदर जंग, जिसे मुगल साम्राज्य का वजीर भी कहा जाता था, अवध का अगला नवाब था। वह अपने चाचा शुजाउद्दौला द्वारा सफल हो गया था। अवध राजा द्वारा एक मजबूत सेना का आयोजन किया गया, जिसमें मुस्लिम get more info और हिंदू, नागा और सन्यासियों के साथ-साथ शामिल थे। अवध शासक का अधिकार दिल्ली के पूर्व क्षेत्र रोहिलखंड तक था। उत्तर-पश्चिमी सीमांत की पर्वत श्रृंखलाओं से बड़ी संख्या में अफगान, जिन्हें रोहिल कहा जाता है, उसमें बस गए।

फतेहपुर सीकरी में एक महल सह किला परिसर भी अकबर (विजय शहर) द्वारा बनाया गया था।

चित्रकला से भी प्राचीन भारत के जन-जीवन की जानकारी मिलती है। अजन्ता के चित्रों में मानवीय भावनाओं की सुंदर अभिव्यक्ति है। ‘माता और शिशु’ या ‘मरणशील राजकुमारी’ जैसे चित्रों से बौद्ध चित्रकला की कलात्मक पराकाष्ठा का प्रमाण मिलता है। एलोरा गुफाओं के चित्र एवं बाघ की गुफाएँ भी चित्रकला की दृष्टि से महत्त्वपूर्ण हैं।

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